कोर्ट का बड़ा फैसला

कोर्ट का बड़ा सुप्रीम कोर्ट ने सूचना कानून के तहत प्रधान न्यायाधीश का आफिस के साथ उच्चतम न्यायालय के सभी जज भी आरटीआई के दायरे आने का फैसला दिया। पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि पारदर्शिता न्याय प्रक्रिया कम नहीं करती आज भी देश में अनेक ऐसे कार्यालय हैं जहां लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति ही नहीं की गई है। जाहिर है इसके पीछे सूचना नहीं देने की मानसिकता कार्य कर ही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोक सूचना अधिकारी नियुक्त करने का दवाब बनेगा और नियुक्तियां हो सकेंगी। देश में एक बड़ा वर्गऐसा है जो पारदर्शिता के खिलाफ है। वह है सरकारी सिस्टम वह नहीं चाहता कि फायलों में जो उन्होंने कुछ भी काला पीला किया है वह सबकी जानकारी में आवे। कई बार RIGHT केन्द्रीय सूचना आयुक्त ने INFORMATION विभागीय अफसरों को कड़ी। फटकार भी लगाई है कि आस्टीआई से छट की धाराओं का गलत उल्लेख कर जानकारी चाहने वालों को परेशान ना कर उन्हें सूचना दी जावे। बार ऐस देखने में आता है कि लोक सूचना अधिकारी ऐसे आवेदनकर्ता को जो आरटीआई की धाराओं का सही विश्लेषण नहीं कर पाते हैं उनको तकनीकी पहलुओं का फायदा उठाकर जानकारी से बचने की कोशिश की जाती है। उदाहरण लिये हम इसे इस प्रकार समझें किसी आवेदनकर्ता ने सरकारी स्कूल के अध्यापक के में व उसकी सर्विस बुक की छाया / शैक्षणिक योग्यता से सम्बन्धी दस्तावेजों की की जाती हैतो सम्बन्धित व्यक्ति लोक सूचना अधिकार सूचना अधिकारी से मिलकर यह सूचना भिजवा देता है कि यह तृतीय पक्ष से सम्बन्धित है। यह धारा धारा 8 (1) के तहत देय नहीं हैयह निजता का उल्लंघन करता हैजबकि वास्तविकता यह है कि जो दस्तावेज सरकार के पास हैं वे सभी सरकारी होते हैंउन्हें सूचना के अधिकार के तहत सार्वजनिक किया जा सकता है। केवल व्ही दस्तावेज निजी माने जा सकते हैं जिसके प्रकटन - से उस व्यक्ति के जीवन पर कोई फर्क पड़ने वाला हो जैसे उसकी बीमारी से सम्बन्धित जानकारी, र उसके या उसके परिवार के ऊपर चलने वाले मुकदमों तथा वैलेंस आदि की जानकारी ही निजता की श्रेणी में आती हैगलत व्याख्या करते भी ऐसे फैसले कर देता RIGHT TO सुप्रीम कोर्ट का INFORMATION कहना है कि आखिर पारदर्शिता लाने में हर्ज ही क्या है ? ज्होंने तो यहां तक कहा है कि जजों की सम्पत्ति निजी नहीं है उन्हें आरटीआई से छूट नहीं दी जा सकती। सरकार भी अपने अधिकारियों से हर वर्ष अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा विभागीय वेबसाइट पर डालने को कहती है फिर सूचना मांगने वालों को यह कहकर सूचना नहीं दी जाती कि सम्पत्ति का ब्यौरा यह निजी मामला है। अब जब सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट के जज भी आरटीआई में आ गये हैं तो राज्यों में भी अब इस प्रकार के आवेदनों पर सूचना मिलने का मार्ग प्रशस्त होगासुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय अब निजता की दुहाई देकर सूचना नहीं देने वालों को अब सूचना देने को बाध्य होना पड़ेगा।


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पान खाने के फायदे इसकी पत्तियों के कट, उष्ण और क्षारीय गुण अलग करते हैं तथा इसे खाने से पेट के कीड़े मर जाते का भी नाश करता है अक्सर आपने देखा होगा कि के बाद आप पान खाने जाते हैं, क्योंकि इसे खाने से पच जाता है। यह भूख बढ़ाने के साथ ही खाने बढ़ाता है। हां, पुराने और नए पान के पत्तों में भी होते हैं पुराना पान रूचिकारक, सुगन्धित, कामोद्दीपन शुद्ध करने वाला होता है, जबकि नए पान के लिए हानिकारक माने जाते हैं। हृदय की दुर्बलता लाभदायक है। पान की जड़ को मुलेठी के चूर्ण मिलाकर देने से सर्दी-जुखाम एवं गले की मिलता है गाने में रूचि रखने वालों के लिए हैपान के पत्तों को चूसने पर यह लार (सेलिवानिकालने में मददगार होती है, जिससे भोजन का पाचन होता है। पान का शरबत हृदय को बल देता है यह कफ करता है तथा अग्नि को दीप्त करता है अर्थात है। हां, इसे अधिक खाने से इसमें पाया हेपेक्साइन नुकसान पहुंचाता है अधिक पान खाना भी अहितकर भी। अगर पान के पत्ते को काली मिर्च साथ खाएं तो यह 8 हफ्तों में मोटापा कम कर देगाबहुत शक्तिशाली गुणों से भरे होतें हैं यह और उचित लिये जाने जाते हैं पान के पत्ते शरीर का मेटाबॉलिज्म पेट में एसिडिटी होने से रोकते हैं खाना खाने के पत्ते को जैसे ही मुंह में डालते हैं यह तुरंत अपना दिखाना शुरू कर देता है इसे खाने से मुंह में थूक बनने यह पेट को खाना पचने के लिये दिमाग को सिगनल । यह शरीर से विषैले पदार्थों को भी निकालने खाने से कब्ज की समस्या भी नहीं होती। पान