(1)ये पोस्ट यदि ध्यान से समझी नहीं गयी तो शायद को चुभ सकती है, लेकिन इसके लिये क्षमा याचना नहीं कि .... क्योंकि पाश्च्यात संस्कृति के चक्कर में आकर ये लोग भारतीय संस्कृति को रोज अपमानित कर रहे हैं ये उनके लिए है। (2)सन् 1980 तक लड़कियां कॉलेज में साड़ी पहनती फिर सलवार सूट। (3) इसके बाद साड़ी पूरी तरह गायब और सलवार सूट के साथ जीन्स आ गया। (3) 2005 के बाद सूट लगभग गायब हो गया और इसकी जगह Skin काले सफेद स्लैक्स आ गए, फिर 2010 तक लगभग पारदर्शी स्लैक्स आ गए जिसमें आंतरिक वस्त्र पूरी तरह स्पष्ट हैं(4) फिर 2015 के बाद यह सूट लगभग ऊपर नाभि के 2 भागो मे बट गया, जिससे कि लड़की या महिला के नितब तरह स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं और 2 पहिया गाड़ी चलाती या ! बैठी महिला अत्यंत विचित्र सी दिखाई देती है मोटी जांघे, दिखता पेट (5) आश्चर्य की बात यह है कि यह पहनावा कॉलेज लेकर 40 वर्ष या ऊपर उम्र की महिलओं में अब भी दिख रहा (6) बड़ी उम्र की महिलायें छोटी लड़कियों को अच्छा अच्छा सिखाने की बजाए उनसे बराबर की होड़ लगाने लगी हैं। नकलची महिलाएं, (7) अब कुछ नया हो रहा 2018 में, स्लैक्स ही कुछ या रग बिरगा सा हो गया और सूट अब कमर तक आकर हो गया यानि उभरे हुए नितंब अब आपके दर्शन हेतु प्रस्तुत साथ ही लड़कियों या बड़ी महिलओं में एक नया ट्रेंड और गया, स्लैक्स अब पिंडलियों तक पहुंच गया, कट गया है नीचेइस्लामिक पायजामे की तरह। (७) सबसे बड़ी बात यह है कि वेशभूषा केवल 'हिन्दू लड़कियों व महिलाओं में ही दिखाई रही है। (10) (हिन्दू पुरुषों की वेशभूषा में पिछले 40 वर्ष में कोई मकाइ उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं हुआ) इसके उलट मुस्लिम लड़कियां Mall जाती है बड़े होटलों में, सामाजिक पार्टियों में जाती म जाता पूरा ढका हुआ बुका या सिर में चारों तरफ लिपटे कपड़े के दिखाई पड़ती है। (हम वैसे इसका भी समर्थन नहीं करते हिन्दू महिलाओं से 100 गुना ठीक है) हिन्दू लड़कियां/महिलायें जितना अधिक शरीर दिखाना चाह रही, मुस्लिम सात और ई-मित्रोंपर शुरू हुईरोगीप महिलायें उतना ही अधिक पहनावे के प्रति कठोर होते जा रही। (11) कपिल के कॉमेडी शो में मंच पर आई एक वी.आई. ही पी. मेहमानों में हिन्दू मुस्लिम महिलाओं की वेशभूषा में यह स्पष्ट अतंतर देखा जा सकता था(12) पहले परुष साधारण या कम कपड़े पहनते थे, नारी सौम्यता पूर्वक अधिक कपड़े पहनती थी, पर अब टीवी सीरियलों, फिल्मों की चपेट में आकर हिन्दू नारी के आध को । कपड़े स्वयं को Modern बनने में उतर चुके हैं। (13) यूरोप द्वारा प्रचारित 'नंगेपन के षड़यंत्र की सबसे आसान शिकार भारत की मॉडर्न हिन्द महिलाएं हैं जो फैशन के नाम पर खद को नंगा करने के प्रति बेहद गंभीर हैं पर उन्हें यह ज्ञान नहीं कि वो जिसकी नकल कर इस रास्ते पर चल पड़ी है, उनको इस नंगापन के लिए विज्ञापनों में करोडों डॉलर मिलते हैं। उन्हें कपड़े न पहनने के पैसे मिलते हैं। (14) यहां कुछ महिलाएं। सोचेगीं कि हमें क्या पहनना है ये हम तय करेंगे कोई और नहीं, नोमा तो आप अपनी जगह बिल्कुल सही हैं लेकिन जरा सोचिये यदि आप ऐसे कपड़े पहनती हैं जिसके कारण आप खुद को असहज सरस करती दो ऐसे दियामहसूस करती हो, ऐसे दिखावे के कपड़े पहनने से क्या फायदा ? (15) पहनावे में यह बदलाव न पारसी महिलाओं में आया न मस्लिम न मुस्लिम महिलाओं में आया, यह बदलाव सिर्फ और सिर्फ हिन्दू महिलाओं में ही क्यों आया है. ? जरा इस पर विचार कीजियेगा। यह पोस्ट केवल हमारी बह बेटियों, माताओं, बहनों को यूरोप द्वारा प्रचारित नंगेपन के षडयंत्र का शिकार बनने से रोकने के लिए है। -साभार सोशल मीडिया
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