श्रीरामजन्मभूमि के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया का समर्पण..

जब जब श्री राम जन्मभूमि आंदोलन - की बात होगी ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजया राजे सिधिया ऐसा महान व्यक्तित्व थीं जो राजमाता होते दैदीप्तिमान सूर्य की तरट छाई रहीं1980 में भारतीय जनता पार्टी के पालमपुर में हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अधिवेशन में भगवान श्री राम की जन्मभूमि में भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के लिए प्रस्ताव लाने वाली राजमाता विजयाराजे सिंधिया हीथींछह दिसंबर 1992 की कारसेवा के दौरान भी अयो या में वे अहम भूमिका में रहीं और एक प्रमुख नेत्री की तरह आंदोलन का नेतृत्व किया। अयोध्या के रामकथा कुंज के मंच से उन्होंने भी कारसेवकों को सम्बोधित किया था। अन्य नेताओं जन्मभूमि आंदोलन की बदौलत राष्ट्रीय राजनीति में सितारा बनकर चमकी साध्वी उमा भारती राजमाता सिंधिया का भी बड़ा आर्शीवाद माना जाता है। सागर के राणा परिवार में सन 1919 में जन्मी राजमाता विजयाराजे सिंधिया सरलता, सहजता और संवेदनशीलता की पूजा ऑफसेट प्रिन्ट्स, अहीरपाड़ा, राजामण्डी, आगरा से त्रिवणाय त्रिवेणी थीं। इंदिरा सरकार के आपात काल में वे जेल गईं। उसके बाद वेधीरे धीरे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़ती चली गई। इसके उपरांत तो उन्होंने तन-मन-धन से श्री राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए हुए हर आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई, आडवाणी जी की रथयात्रा में तो राजमाता की भूमिका वास्तव में एक सारथी की तरह थी। राजमाता श्रीमती विजया राजे सिंधिया का हिन्दू समाज व श्री राम जन्मभूमि के प्रति समर्पण ना सिर्फ अनुकरणीय है बल्कि युगों युगों तक हम सभी भारताया के लिए प्ररणा दता रहगा।


- विनोद बंसल 


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पान खाने के फायदे इसकी पत्तियों के कट, उष्ण और क्षारीय गुण अलग करते हैं तथा इसे खाने से पेट के कीड़े मर जाते का भी नाश करता है अक्सर आपने देखा होगा कि के बाद आप पान खाने जाते हैं, क्योंकि इसे खाने से पच जाता है। यह भूख बढ़ाने के साथ ही खाने बढ़ाता है। हां, पुराने और नए पान के पत्तों में भी होते हैं पुराना पान रूचिकारक, सुगन्धित, कामोद्दीपन शुद्ध करने वाला होता है, जबकि नए पान के लिए हानिकारक माने जाते हैं। हृदय की दुर्बलता लाभदायक है। पान की जड़ को मुलेठी के चूर्ण मिलाकर देने से सर्दी-जुखाम एवं गले की मिलता है गाने में रूचि रखने वालों के लिए हैपान के पत्तों को चूसने पर यह लार (सेलिवानिकालने में मददगार होती है, जिससे भोजन का पाचन होता है। पान का शरबत हृदय को बल देता है यह कफ करता है तथा अग्नि को दीप्त करता है अर्थात है। हां, इसे अधिक खाने से इसमें पाया हेपेक्साइन नुकसान पहुंचाता है अधिक पान खाना भी अहितकर भी। अगर पान के पत्ते को काली मिर्च साथ खाएं तो यह 8 हफ्तों में मोटापा कम कर देगाबहुत शक्तिशाली गुणों से भरे होतें हैं यह और उचित लिये जाने जाते हैं पान के पत्ते शरीर का मेटाबॉलिज्म पेट में एसिडिटी होने से रोकते हैं खाना खाने के पत्ते को जैसे ही मुंह में डालते हैं यह तुरंत अपना दिखाना शुरू कर देता है इसे खाने से मुंह में थूक बनने यह पेट को खाना पचने के लिये दिमाग को सिगनल । यह शरीर से विषैले पदार्थों को भी निकालने खाने से कब्ज की समस्या भी नहीं होती। पान